Tech viral:यूट्यूब की 3 स्ट्राइक को कैसे सही करें जानिए इस आर्टिकल में

Tech viral: यूट्यूब की दुनिया में अनिश्चितता का एक भूचाल आया हुआ है। कठोर होती नीतियों और मनमाने ढंग से दी जा रही कॉपीराइट स्ट्राइक ने बड़े-बड़े क्रिएटर्स का जीना मुश्किल कर दिया है। न चैनल बंद होने की वजह साफ़ है, न स्ट्राइक पड़ने का कोई सटीक कारण। आपको बता दे कि फिल्म रिव्यू चैनल ‘फिल्मी इंडियन’ को 90 दिनों के भीतर तीन कॉपीराइट स्ट्राइक मिल गई हैं!
यह सिर्फ एक चैनल की कहानी नहीं, बल्कि यह सवाल है यूट्यूब पर स्वतंत्रता का और ईमानदार आवाज़ों पर मंडराते खतरे का।
सच का रिव्यू बनाम ‘पेड रिव्यू’ का दबाव
‘फिल्मी इंडियन’ चैनल की संचालिका दीक्षा, फिल्मों और ट्रेलरों का बेबाकी से रिव्यू करती हैं। वह अपनी वीडियो में फिल्म की कोई क्लिप नहीं दिखातीं—उनका कंटेंट मुख्य रूप से फेसकैम कमेंट्री होता है, जहाँ सिर्फ पोस्टर या कुछ इमेज का इस्तेमाल होता है। उनका काम स्पष्ट रूप से रिव्यू और क्रिटिसिज्म की श्रेणी में आता है।
बावजूद इसके, एक फ़िल्म प्रोड्यूसर को उनका रिव्यू पसंद नहीं आया। नतीजतन, चैनल को स्ट्राइक दे दी गई। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि प्रोड्यूसर ने सीधे-सीधे यह दबाव बनाना चाहा कि वे ‘पेड रिव्यू’ करें—यानी पैसे लेकर वही बोलें जो प्रोड्यूसर चाहता है। दीक्षा के मना करने पर, उनकी पिछली वीडियो पर भी स्ट्राइक डाल दी गई और चैनल पर तीन स्ट्राइक का खतरा आ गया।
‘फेयर यूज़’ का भ्रम और कॉपीराइट मालिक का एकाधिकार
यूट्यूब के नियम कहते हैं कि 90 दिनों के अंदर तीन स्ट्राइक मिलने पर चैनल डिलीट हो जाता है। हालांकि, कॉपीराइट स्ट्राइक के मामले में, क्रिएटर को दावाकर्ता से बात करने के लिए 7 दिन का समय मिलता है। लेकिन यह मामला ‘फेयर यूज़’ (Fair Use) नीति की कमजोरियों को उजागर करता है।

क्या है फेयर यूज़? फेयर यूज़ नीति के तहत, रिव्यू, क्रिटिसिज्म या शिक्षा के लिए किसी के मूल कंटेंट का छोटा-सा हिस्सा इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘फिल्मी इंडियन’ का कंटेंट इसी दायरे में आता है।

सबसे बड़ी विडंबना: वीडियो में स्पष्ट बताया गया है कि फेयर यूज़ का निर्धारण कोर्ट या यूट्यूब की रिव्यू टीम करती है, लेकिन कॉपीराइट के मालिक को किसी भी स्थिति में स्ट्राइक देने का पूरा अधिकार होता है!
इसका मतलब साफ है—भले ही आप नियमों का पालन कर रहे हों, लेकिन यदि कंटेंट के मालिक को आपका सच बोलना पसंद नहीं आता, तो वह अपनी मनमानी चला सकता है।
क्रिएटर्स की आज़ादी पर मंडराता संकट
यह घटना हर यूट्यूबर के लिए एक वेक-अप कॉल है। जब एक छोटा-सा पोस्टर यूज़ करने पर चैनल बंद होने की कगार पर पहुँच सकता है, तो सवाल उठता है कि एक यूट्यूबर आखिर करे तो क्या करे?
यह केस दिखाता है कि स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखने वाली आवाज़ों को अब दबाया जा रहा है। यह चैनल केवल दो ही तरीकों से बच सकता है: या तो सार्वजनिक दबाव के कारण प्रोड्यूसर स्ट्राइक वापस ले ले, या फिर कोर्ट में ‘फेयर यूज़’ के पक्ष में फैसला आए।
वीडियो के अंत में भी यही सलाह दी गई है कि: “यूट्यूबर का जीना हराम हुआ पड़ा है। आप जो भी कुछ कर रहे हैं, सोच-समझ के अपने रिस्क पर ही कंटेंट बनाएँ।”
यह मामला यूट्यूब पर स्वतंत्र, ईमानदार और मेहनती क्रिएटर्स के भविष्य के लिए एक बड़ा संकट खड़ा करता है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि यूट्यूब, क्या अपनी नीतियों को क्रिएटर्स की मेहनत के पक्ष में झुकाएगा, या कॉपीराइट गुंडाराज जारी रहेगा?

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